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Saturday, September 22, 2018

कामरेड चंद्रशेखर की याद में


हक़ की लड़ाई जारी रखने के लिए,
सच की हिफ़ाज़त के लिए
बार-बार मरना जानते हैं कामरेड
रिरियाकर समझौता करना फ़ितरत नहीं
और सुन लो कि कामरेडों को 
शहादत की ब्रांडिंग नहीं आती
बड़े ढीठ होते हैं कामरेड
मरकर नष्ट नहीं होते
बल्कि वे फिर उग आते हैं
हर युग में
नए जिस्मों में,
नई रौशनी के साथ
कि बिकाऊ होने से पहले
हर व्यक्ति के अवचेतन में
एक कामरेड आकार लेना चाहता है
उसे दु:स्वप्न की तरह फेंक देते हैं जो लोग
बन नहीं पाते कामरेड
बन नही पाते आदि-विद्रोही।
कामरेड की शहादत की बरसी मत मनाओ लोगों
कामरेड मरा नहीं करते
देखो, हर उठे हाथों में
हर बंधी मुट्ठियों में
गगनभेदी नारों में
जीवित है कामरेड
लांग-लिव कामरेड।।।
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(कामरेड चंद्रशेखर की याद में)