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Sunday, September 30, 2012

औरत

औरत ने अपने लिए
रच लिए हैं नए ग्रन्थ
औरत ने अपने लिए
तराश लिए हैं नए खुदा
औरत ने अपने लिए
बना ली हैं नै राहें ...
खोज लिए हैं नए पद -चिन्ह ..
अब औरत सिराज रही है
एक नई पृथ्वी
एक नया सूरज
एक नया आसमान
ढूंढ लिया है अपने लिए
एक नया साथी ...
एक नया हमसफ़र ...

Wednesday, September 19, 2012

कुछ अपनी

जूनून ....

(के रविन्द्र के लिए )
होना चाहिए जूनून
तभी मिल सकता है सुकून
वरना किसे फुर्सत है
किसी का नाम ले
तुम्हारा जूनून ही
है तुम्हारी पहचान
जो देती है तुम्हे
नित नई ऊंचाइयां
नित नई उड़ान.....

Monday, September 3, 2012

वजूद इस बारिश में


आज फिर बारिश बेजोड़ है
आज फिर काम पर नही जा पाएंगे हम
आज फिर खोजा जाएगा अनाज चूहे के बिलों से
आज फिर फाक़े के आसार हैं...
बेशक होगी बारिश तुम्हारे लिए ख़ुशी की बात
हमारा वजूद इस बारिश में घुल जाएगा, मिट तो नही जाएगा....

Sunday, September 2, 2012

कितनी बार लोगे परीक्षा


कितनी बार लोगे परीक्षा मेरी
कब तक करोगे परेशान
कब तक देना होगा मुझे
अपनी वफादारी का इम्तिहान

इतने सारे तुहमत मुझपर
इतने हैं आरोप कि मुझसे
और नही अब ढोया जाता
अपनी बदकिस्मती का बोझा

हमने भी मिटटी सानी है
हमने भी गारा ढोया है
हमने भी ईंटें जोड़ी हैं
तभी बना ये घर हम सबका...

कितने कम दिन होते हैं
धरती पर मानव-जीवन के
चैन से हमको रहने दे दो
छोटे-मोटे दुःख सहने दो...