बुधवार, 19 सितंबर 2012

जूनून ....

(के रविन्द्र के लिए )
होना चाहिए जूनून
तभी मिल सकता है सुकून
वरना किसे फुर्सत है
किसी का नाम ले
तुम्हारा जूनून ही
है तुम्हारी पहचान
जो देती है तुम्हे
नित नई ऊंचाइयां
नित नई उड़ान.....

1 टिप्पणी:

कई चाँद थे सरे आसमां : अनुरोध शर्मा

कुमार मुकुल की वाल से एक ज़रूरी पोस्ट : अनुरोध शर्मा पहले पांच पन्ने पढ़ते हैं तो लगता है क्या ही खूब किताब है... बेहद शानदार। उपन्यास की मुख्...