रचना-संसार
समसामयिक सृजनात्मकता का मंच
बुधवार, 19 सितंबर 2012
जूनून ....
(के रविन्द्र के लिए )
होना चाहिए जूनून
तभी मिल सकता है सुकून
वरना किसे फुर्सत है
किसी का नाम ले
तुम्हारा जूनून ही
है तुम्हारी पहचान
जो देती है तुम्हे
नित नई ऊंचाइयां
नित नई उड़ान.....
1 टिप्पणी:
Nityanand Gayen
19 सितंबर 2012 को 8:31 am बजे
बहुत सही बात .....
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बहुत सही बात .....
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