Total Pageviews

Monday, November 27, 2017

अन्धकार के बीज

अन्धकार के बीज
-------------------------------
अधिकृत साक्ष्य और दस्तावेजों को सहेजकर
अंतर्राष्ट्रीय मापदंडों के अनुरूप
जब लिखा जा रहा था इतिहास 
उस समय ये लोग कहाँ थे
क्यों नहीं दर्ज कराई असहमति
फिर पाठ्यक्रमों में शामिल किया गया इतिहास
तब भी इन लोगों ने नहीं की आपत्ति
अपनी अधकचरी प्रयोगशालाओं में ये लोग
रचते रहे मनगढ़ंत फ़साने
और करते रहे मनोनुकूल परिस्थितियों की प्रतीक्षा
यह मत भूलो कि आज का दिन भी
कभी बनेगा एक इतिहास
और उस इतिहास में दर्ज होगी हम सबकी उपस्थिति भी
लेकिन यह भी एक तथ्य है
कि तर्क और तथ्यों की हत्या करके
बलजबरिया तैयार किये जा रहे थे ऐसे ग्रन्थ
जिनमें बीज छुपे थे अन्धकार के
तब हमने भी तो साध रखी थी चुप्पी
या अपने ज्ञान के अहंकार से
जिन ग्रंथों की कर रहे थे उपेक्षा
वही ग्रन्थ आज
प्रमाण के रूप में किये जा रहे प्रस्तुत
क्या अब भी तुम्हें नहीं होता महसूस दोस्त
कि बहुत देर हो चुकी है
कि तर्क और तथ्यों को
गालियों और पत्थरों की जगह
बेधड़क किया जा रहा इस्तेमाल
और हम निरुपाय-असहाय से देख रहे
उन तमाम संस्थाओं की हत्या होते.....

Saturday, November 18, 2017

अँधेरा कुआं


Image result for unemployed youth of india

ख़ुशी-ख़ुशी बैनर पोस्टर उठाये
हलक फाड़ कर नारेबाजी करते
इनके-उनके रोड शो का हिस्सा बनते
जाने क्यों नौकरी नहीं मांगते युवा
चिडचिडाते रहें माँ-बाप
कोई फर्क नहीं पड़ता उन्हें
आवारा मवेशियों की तरह
प्राइम टाइम में
नगर के गलियों-चौराहों पर
इधर-उधर नौकरी बजाते से टीप-टॉप युवा
हर युवक के पास है एक अदद यूजी
बहुतों के पास पीजी भी...
देश जिस युवा शक्ति के बल पर
बनना चाहता है महाशक्ति
उन युवाओं की कितनी कम मांगें हैं
उन्हें चाहिए बस एक फोर जी मोबाइल सेट
खूब सारा सस्ता अनलिमिटेड डाटा प्लान
पोर्न साइट्स से समय बचे तो
व्हाट्सएप विश्व-विद्यालय से
फ़ॉर्वर्डेड ज्ञान की जुगाली
जेब में इतने ही पैसे
कि कभी-कभार
नशा-खोरी विथ बिरयानी का हो जाए जुगाड़
तीन टाइम का खाना तो माँ-बाप खिलाएंगे ही
इस बीच किसी करमजले ने पसंद कर लिया
तो फिर धूमधाम से हो ही जायेगी शादी
शादी के बाद ऐश ही ऐश
कराएं डिलेवरी पैरेंट्स
या करा दें कुछ साल बाद बहू की नसबंदी
कोई फर्क नहीं पड़ता
नौकरी मिलने से रही
मठों-मजारों में मत्था टेकते माँ-बाप
थक-हार कर कुनमुनाते रहें
ये तो अच्छा है कि नगर में
किसी न किसी कारण
होते रहते हैं चुनाव
नगर निकाय हो या विधान-सभा
नगर पंचायत हो या लोकसभा
कुछ युवा सत्तापक्ष के साथ
कुछ विपक्ष के साथ
कुछेक विक्षुब्धों के साथ
बचे-खुचे निर्दलियों के साथ
इससे अधिक बेकार युवा
कहाँ रहते हैं किसी नगर में
है कि नहीं...?