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Monday, November 27, 2017

अन्धकार के बीज

अन्धकार के बीज
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अधिकृत साक्ष्य और दस्तावेजों को सहेजकर
अंतर्राष्ट्रीय मापदंडों के अनुरूप
जब लिखा जा रहा था इतिहास 
उस समय ये लोग कहाँ थे
क्यों नहीं दर्ज कराई असहमति
फिर पाठ्यक्रमों में शामिल किया गया इतिहास
तब भी इन लोगों ने नहीं की आपत्ति
अपनी अधकचरी प्रयोगशालाओं में ये लोग
रचते रहे मनगढ़ंत फ़साने
और करते रहे मनोनुकूल परिस्थितियों की प्रतीक्षा
यह मत भूलो कि आज का दिन भी
कभी बनेगा एक इतिहास
और उस इतिहास में दर्ज होगी हम सबकी उपस्थिति भी
लेकिन यह भी एक तथ्य है
कि तर्क और तथ्यों की हत्या करके
बलजबरिया तैयार किये जा रहे थे ऐसे ग्रन्थ
जिनमें बीज छुपे थे अन्धकार के
तब हमने भी तो साध रखी थी चुप्पी
या अपने ज्ञान के अहंकार से
जिन ग्रंथों की कर रहे थे उपेक्षा
वही ग्रन्थ आज
प्रमाण के रूप में किये जा रहे प्रस्तुत
क्या अब भी तुम्हें नहीं होता महसूस दोस्त
कि बहुत देर हो चुकी है
कि तर्क और तथ्यों को
गालियों और पत्थरों की जगह
बेधड़क किया जा रहा इस्तेमाल
और हम निरुपाय-असहाय से देख रहे
उन तमाम संस्थाओं की हत्या होते.....

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