रचना-संसार
समसामयिक सृजनात्मकता का मंच
सोमवार, 3 सितंबर 2012
वजूद इस बारिश में
आज फिर बारिश बेजोड़ है
आज फिर काम पर नही जा पाएंगे हम
आज फिर खोजा जाएगा अनाज चूहे के बिलों से
आज फिर फाक़े के आसार हैं...
बेशक होगी बारिश तुम्हारे लिए ख़ुशी की बात
हमारा वजूद इस बारिश में घुल जाएगा, मिट तो नही जाएगा....
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