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Tuesday, August 3, 2010

बेटी से


ऐसा नहीं है
कि तुम्हें जेल भेज कर हम खुश हैं
तुम खुद सोचो
कि पापा भी तो कैद हैं
...खुद की बनाई जेल में
कैद हैं मम्मी भी
घर की चारदीवारी में
छोटी बहन भी कहाँ आज़ाद है?

तुम्हें मालूम हो बेटी
मछली कि जेल पानी है
पंछी की जेल हवा
मिटटी की जेल धरती
चाँद-सूरज की जेल आकाश गंगा

हॉस्टल की ये कैद
मेरी बच्ची
ब्रह्माण्ड के रहस्य समझने में
तुम्हारी मदद करेगी...

1 comment:

  1. my God!!!!!!!!!!!ultimate creation. I can understand your pain. if u really have dedicated these lines to your daughter, I must say you are a great father. ultimate creation, padh kar sare shareer men sihran bhar gaee. May almighty God helps ur daughter to understand your feelings. Regards

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