गुरुवार, 6 अक्टूबर 2011

हिना फिरदौस के रेखांकन


वह बोलती रेखाओं की भाषा
जीवन की इक नई परिभाषा
देती पिता को भरपूर दिलासा
"मुझमे है आशा ही आशा. "

कई चाँद थे सरे आसमां : अनुरोध शर्मा

कुमार मुकुल की वाल से एक ज़रूरी पोस्ट : अनुरोध शर्मा पहले पांच पन्ने पढ़ते हैं तो लगता है क्या ही खूब किताब है... बेहद शानदार। उपन्यास की मुख्...