रचना-संसार
समसामयिक सृजनात्मकता का मंच
गुरुवार, 6 अक्टूबर 2011
हिना फिरदौस के रेखांकन
वह बोलती रेखाओं की भाषा
जीवन की इक नई परिभाषा
देती पिता को भरपूर दिलासा
"मुझमे है आशा ही आशा. "
1 टिप्पणी:
Nityanand Gayen
6 अक्टूबर 2011 को 5:47 am बजे
आशा ही आशा................................
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आशा ही आशा................................
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