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Wednesday, November 2, 2011
गज़ल
गज़ल : अनवर सुहैल
उनके संयम का सम्भाषण याद आया
अपने लोगों का भोलापन याद आया
सरकारी धन का बंटवारा होते देख
चोर लुटेरों का अनुशासन याद आया
उनके इतने चरचे, उनको देखा तो
बिन-बदली-बरखा का सावन याद आया
चारों ओर पडा है सूखा, लेकिन आज
स्वीमिंग पुल का है उद्घाटन याद आया
इस दफ़तर में जाने कितने बाबू थे
लेकिन अब है इक कम्प्यूटर याद आया
फ़ाकाकश सब मिलकर, इक दिन ज़ोर किए
कैसे डोला था सिंहासन, याद आया
दूजों की थाली पर घात लगाने वाले
भरपेटों का मरभुक्खापन याद आया
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चारों ओर पडा है सूखा, लेकिन आज
ReplyDeleteस्वीमिंग पुल का है उद्घाटन याद आया
yahi yatharth hai ....................bahut khub likha hai aapne.