शनिवार, 12 नवंबर 2011

डूबता सूरज

एक :
जो हमारी निगाह में
पाप है , गुनाह है , अक्षम्य है
वही उनके निजाम को
बचाए रखने का
बनाए रखने का
सबसे बड़ा हथियार है...
यही तो इस युग की विडम्बना है...


दो :

डूबता सूरज
झांक रहा पहाड़ के पीछे से
लगता है मन नहीं उसका
उस पार जाने को
खलिहान में व्यस्त किसान के
चेहरे पर दमक रही सूर्य की आभा
इस साल फसल भी तो अच्छी हुई है.....

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