रविवार, 10 मार्च 2013

ज़रूरी नहीं...

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ज़रूरी नहीं
कि हम पीटें ढिंढोरा
कि हम अच्छे दोस्त हैं
कि हमें आपस में प्यार है
कि हम पडोसी भी हैं
कि हमारे साझा रस्मो-रिवाज़ हैं
कि हमारी मिली-जुली विरासतें हैं

कतई ज़रूरी नहीं है ये
कि हम दुनिया के सामने
अपने प्यार का इज़हार करें
क्योंकि जब दोस्ती टूटती है
जब प्यार नफरत में बदलता है
तब रिश्तों में खटास आती है
तब दिल टूट जाते हैं
तब अकबका जाते हैं वे लोग
जिनके दिल मोम हैं
जो सरल हैं
जो सहज हैं
सीधे-सादे हैं
जिन्हें नहीं आती
पोलिटिक्स की क-ख-ग....
थोड़ी सी भी
इत्ती सी भी....

कुछ तो सोचो
ऐसे नादानों के लिए.....

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