शनिवार, 20 जुलाई 2013

चील-गिद्ध-कौवे


बेशक तुमने देखी नही दुनिया 
बेशक तुम अभी नादान हो 
बेशक तुम आसानी से
हो जाती हो प्रभावित अनजानों से भी 
बेशक तुम कर लेती हो विश्वास किसी पर भी 
बेशक तुम भोली हो...मासूम हो 
लेकिन मेरी बिटिया 
होशियार रहना 
ये दुनिया ईतनी अच्छी नहीं है 
ये दुनिया इतनी भरोसे लायक नहीं रह गई है 
जहां उडती  हैं गौरैयाँ खुले आकाश में 
वहीं उड़ते हैं चील-कौवे-गिद्ध भी 
तुम्हे होशियार रहना है गिद्धों से 
और पहचानना है गौरैया के भेष में गिद्धों को...
तभी तुम जी पाओगी
उड़ पाओगी अपनी उडान...
बिना व्यवधान....

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