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Thursday, August 15, 2019

जाने-पहचाने कातिल

kanha dubey 


एक 
जाने पहचाने क़ातिल / Anwar Suhail_____\\_____\\_____\\_____\\_____\\_____\\_____
ग़ौर से देखें इन्हें
किसी अकेले को घेरकर मारते हुए
ध्यान दें कि ये भीड़ नहीं है
भीड़ कहके हल्के से न लें इन्हें
दीखने में ये क़बीलाई लोग नहीं हैं
मानसिकता की बात अभी न करें हम
आधुनिक परिधानों में सजे
प्रतिदिन एक जीबी डाटा खुराक वाले
कितने सुघड़-सजीले जवान हैं ये
इनके कपड़े ब्राँडेड हैं वैसे ही
इनके जूते, बेल्ट और घड़ियाँ भी
अनपढ़-गँवार भी नहीं हैं ये
हिंगलिश और इमोजी के ज्ञाता हैं
फ़ोर-जी मोबाइल फ़ोन इनके हाथों में
जिनमें फ़्रंट-रियर कैमरे हैं दस-बीस मेगा-पिक्सल के
हम नहीं जान सकते हैं कि ये लोग
नौकरीपेशा हैं या छिटपुट रोज़गार वाले हैं
या कि एकदम बेरोज़गार हैं
ये अच्छी तरह से जानते हैं
कि कुछ भी ऐसा नहीं कर रहे हैं जो आकस्मिक हो
और थोड़ी भी हड़बड़ाहट नहीं है
कोई जल्दबाज़ी भी नहीं है
कितना इत्मिनान है इनमें
जान की सलामती माँगती आहों को
इनकी उन्मादी चीख़ें उभरने नहीं देतीं
कई मोबाइल कैमरे व्यस्त रहते हैं
आखेट के इन क़ीमती पलों को क़ैद करने में
कुछ साथी लाइव भी हो जाते हैं
जैसे उनमें पहचान लिए जाने का कोई डर नहीं है
ग़ौर करें कि सभी लोग नहीं पीट रहे हैं
बहुत से लोग हैं जो तमाशबीन भी हैं
इनमें हिंसा की हर हालत में निंदा करने वाले भी लोग हैं
जिन्हें झटका की जगह हलाल करना क्रूर लगता है
किसी पवित्र उद्देश्य के तहत
एक आदमी को बेदम होते तक पीटा जाता है
इतना पीटा जाता है कि वह मर ही जाता है
और ठीक इसी के साथ मर जाते हैं बहुत से
अमनो-पसंद लोगों के जिस्मों-रूह भी...

kanha dubey

दो 
जाने पहचाने क़ातिल / Anwar Suhail_____\\_____\\_____\\_____\\_____\\_____\\_____
ग़ौर से देखें इन्हें
किसी अकेले को घेरकर मारते हुए
ध्यान दें कि ये भीड़ नहीं है
भीड़ कहके हल्के से न लें इन्हें
दीखने में ये क़बीलाई लोग नहीं हैं
मानसिकता की बात अभी न करें हम
आधुनिक परिधानों में सजे
प्रतिदिन एक जीबी डाटा खुराक वाले
कितने सुघड़-सजीले जवान हैं ये
इनके कपड़े ब्राँडेड हैं वैसे ही
इनके जूते, बेल्ट और घड़ियाँ भी
अनपढ़-गँवार भी नहीं हैं ये
हिंगलिश और इमोजी के ज्ञाता हैं
फ़ोर-जी मोबाइल फ़ोन इनके हाथों में
जिनमें फ़्रंट-रियर कैमरे हैं दस-बीस मेगा-पिक्सल के
हम नहीं जान सकते हैं कि ये लोग
नौकरीपेशा हैं या छिटपुट रोज़गार वाले हैं
या कि एकदम बेरोज़गार हैं
ये अच्छी तरह से जानते हैं
कि कुछ भी ऐसा नहीं कर रहे हैं जो आकस्मिक हो
और थोड़ी भी हड़बड़ाहट नहीं है
कोई जल्दबाज़ी भी नहीं है
कितना इत्मिनान है इनमें
जान की सलामती माँगती आहों को
इनकी उन्मादी चीख़ें उभरने नहीं देतीं
कई मोबाइल कैमरे व्यस्त रहते हैं
आखेट के इन क़ीमती पलों को क़ैद करने में
कुछ साथी लाइव भी हो जाते हैं
जैसे उनमें पहचान लिए जाने का कोई डर नहीं है
ग़ौर करें कि सभी लोग नहीं पीट रहे हैं
बहुत से लोग हैं जो तमाशबीन भी हैं
इनमें हिंसा की हर हालत में निंदा करने वाले भी लोग हैं
जिन्हें झटका की जगह हलाल करना क्रूर लगता है
किसी पवित्र उद्देश्य के तहत
एक आदमी को बेदम होते तक पीटा जाता है
इतना पीटा जाता है कि वह मर ही जाता है
और ठीक इसी के साथ मर जाते हैं बहुत से
अमनो-पसंद लोगों के जिस्मों-रूह भी...

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