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Friday, May 20, 2011

छोटे बहर की ग़ज़ल

मनेन्द्रगढ़ : हसदो साईट












 हदों     का   सवाल   है
यही    तो    वबाल   है.

दिल्ली या लाहोर क्या 
सबका   एक  हाल  है 

भेडिये  का  जिस्म है 
आदमी  की  खाल  है 

अँधेरे  बहुत    मगर 
हाथ  में  मशाल   है 

: अनवर सुहैल 

2 comments:

  1. 'छोटी'' (छोटे नहीं) बहर की प्यारी ग़ज़ल के लिए बधाई...... देख रहा हूँ की इस विधा में भी तुम रमने की सफल कोशिश कर रहे हो. शुभकामना

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