औरत ने अपने लिए
रच लिए हैं नए ग्रन्थ
औरत ने अपने लिए
तराश लिए हैं नए खुदा
औरत ने अपने लिए
बना ली हैं नै राहें ...
खोज लिए हैं नए पद -चिन्ह ..
अब औरत सिराज रही है
एक नई पृथ्वी
एक नया सूरज
एक नया आसमान
ढूंढ लिया है अपने लिए
एक नया साथी ...
एक नया हमसफ़र ...
रविवार, 30 सितंबर 2012
मंगलवार, 25 सितंबर 2012
बुधवार, 19 सितंबर 2012
जूनून ....
(के रविन्द्र के लिए )
होना चाहिए जूनून
तभी मिल सकता है सुकून
वरना किसे फुर्सत है
किसी का नाम ले
तुम्हारा जूनून ही
है तुम्हारी पहचान
जो देती है तुम्हे
नित नई ऊंचाइयां
नित नई उड़ान.....
होना चाहिए जूनून
तभी मिल सकता है सुकून
वरना किसे फुर्सत है
किसी का नाम ले
तुम्हारा जूनून ही
है तुम्हारी पहचान
जो देती है तुम्हे
नित नई ऊंचाइयां
नित नई उड़ान.....
सोमवार, 3 सितंबर 2012
वजूद इस बारिश में
आज फिर काम पर नही जा पाएंगे हम
आज फिर खोजा जाएगा अनाज चूहे के बिलों से
आज फिर फाक़े के आसार हैं...
बेशक होगी बारिश तुम्हारे लिए ख़ुशी की बात
हमारा वजूद इस बारिश में घुल जाएगा, मिट तो नही जाएगा....
रविवार, 2 सितंबर 2012
कितनी बार लोगे परीक्षा
कब तक करोगे परेशान
कब तक देना होगा मुझे
अपनी वफादारी का इम्तिहान
इतने सारे तुहमत मुझपर
इतने हैं आरोप कि मुझसे
और नही अब ढोया जाता
अपनी बदकिस्मती का बोझा
हमने भी मिटटी सानी है
हमने भी गारा ढोया है
हमने भी ईंटें जोड़ी हैं
तभी बना ये घर हम सबका...
कितने कम दिन होते हैं
धरती पर मानव-जीवन के
चैन से हमको रहने दे दो
छोटे-मोटे दुःख सहने दो...
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