Total Pageviews
Tuesday, May 28, 2013
Sunday, May 26, 2013
अद्भुत कला
अद्भुत कला है
बिना कुछ किये
दूजे के कामों को
खुद से किया बताकर
बटोरना वाहवाही...
जो लोग
महरूम हैं इस कला से
वो सिर्फ खटते रहते हैं
किसी बैल की तरह
किसी गधे की तरह
ऐसा मैं नही कहता
ये तो उनका कथन है
जो सिर्फ बजाकर गाल
दूसरों के किये कामों को
अपना बताकर
गिनाते अपनी उपलब्धियां...
क्या करूँ
मुझमें ऐसी कोई खासियत नही
ऐसे कोई गुण नही
इसीलिये हमेशा की तरह
खटते रहता हूँ
पदते रहता हूँ मैं ....
बिना कुछ किये
दूजे के कामों को
खुद से किया बताकर
बटोरना वाहवाही...
जो लोग
महरूम हैं इस कला से
वो सिर्फ खटते रहते हैं
किसी बैल की तरह
किसी गधे की तरह
ऐसा मैं नही कहता
ये तो उनका कथन है
जो सिर्फ बजाकर गाल
दूसरों के किये कामों को
अपना बताकर
गिनाते अपनी उपलब्धियां...
क्या करूँ
मुझमें ऐसी कोई खासियत नही
ऐसे कोई गुण नही
इसीलिये हमेशा की तरह
खटते रहता हूँ
पदते रहता हूँ मैं ....
Subscribe to:
Posts (Atom)
-
बिभूति कुमार झा Anwar Suhail अनवर सुहैल साहेब की लिखी कहानी संग्रह "गहरी जड़ें" पढ़कर अभी समाप्त किया है। बहुत ही सार्थ...
-
आईआईटी खड़गपुर यंग इनोवेटर प्रोग्राम के पहले दौर के लिए आवेदन स्वीकार कर रहा है। पंजीकरण की अंतिम तिथि 12 दिसंबर, 2024 है। यह कार्यक्रम का ...
-
साक्षात्कार कर्ता नित्यानंद गायेन के साथ अनवर सुहैल अनवर सुहैल से नित्यानंद गायेन की बातचीत कवि / उपन्यासकार एवं संपादक के तौर प...