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Sunday, October 27, 2013

कार्तिक मास में काले बादल

आकाश में छाये काले बादल
किसान के साथ-साथ 
अब मुझे भी डराने लगे हैं...

ये काले बादलों का वक्त नही है 
ये तेज़ धुप और गुलाबी हवाओं का समय है 
कि खलिहान में आकर बालियों से धान अलग हो जाए 
कि धान के दाने घर में पारा-पारी पहुँचने लगें 
कि घर में समृद्धि के लक्षण दिखें 
कि दीपावली में लक्ष्मी का स्वागत हो

कार्तिक मास में काले बादल
किसान के लिए कितने मनहूस
संतोसवा विगत कई दिनों से
कर रहा है मेहनत
धान के स्वागत के लिये
झाड-झंखार कबाड़ के
उबड़-खाबड़ चिकना के
गोबर-माटी से लीप-पोत के
कर रहा तैयार खलिहान
कि अचानक फिर-फिर
झमा-झम बारिश आकर
बिगाड़ देती खलिहान...

इस धान कटाई, गहाई के चक्कर में
ठेकेदारी काम में
जा नही पाता संतोसवा
माथे पे धरे हाथ
ताकता रहता काले बादलों को

हे सूरज!
का तुम जेठ में ही तपते हो
कहाँ गया तुम्हारा तेजस्वी रूप
हमारी खुशहाली के लिए एक बार
बादलों को उड़ा दो न
कहीं दूर देश में
जहां अभी खेतों में पानी की ज़रूरत हो...

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