आइये दें बधाई खूब उसे
कैसे भी छूट गया भाई वो
बच के इक बार तो निकल आया
या कि इस बार छूटना ही था उसे
या कि ये सोचकर छोड़े होंगे
जब भी चाहेंगे धर दबोचेंगे
और ज्यादा जो फड़फड़ाया तो
अपनी मुठभेड़ सेना जिन्दा है
कितनी आसान बात होती है
इक जरा खुट और किस्सा तमाम
यही तो सोच रहा हूँ कबसे
भेड़िये कब शिकार छोड़े हैं
कुछ तो होगी ज़रूर बात डियर
वरना ऐसा कभी हुआ है कभी
हाथ आया शिकार छूटा हो !
वह भी ऐसा शिकार कि जिसकी
ज़िन्दगी की सलामती के लिए
दुवाएं मांगने वाले भी कैसे काँपे हैं
कहीं जान न जाएँ दलाल या गुंडे
और किसी ऐसे ही नए मुक़दमे में
कोई धारा लगाके बेड़ न दे
आइये दें बधाई खूब उसे
और चुपके से खिसक लें भाई
अपनी भी ज़िन्दगी अभागी है
हम तो हर दिन ही खोदते हैं कुआँ
और हर रात प्यासे सोते हैं
जितना पाते नहीं हैं उससे भी
खूब ज्यादा सुकून खोते हैं
हर कदम खूब सहे हैं ज़िल्लत
ज़िन्दगी बोझ-बोझ ढोते हैं
भेड़िये घूम रहे हैं देखो
उनसे बचके निकलने की कला
सीखना आज की ज़रूरत है....
कैसे भी छूट गया भाई वो
बच के इक बार तो निकल आया
या कि इस बार छूटना ही था उसे
या कि ये सोचकर छोड़े होंगे
जब भी चाहेंगे धर दबोचेंगे
और ज्यादा जो फड़फड़ाया तो
अपनी मुठभेड़ सेना जिन्दा है
कितनी आसान बात होती है
इक जरा खुट और किस्सा तमाम
यही तो सोच रहा हूँ कबसे
भेड़िये कब शिकार छोड़े हैं
कुछ तो होगी ज़रूर बात डियर
वरना ऐसा कभी हुआ है कभी
हाथ आया शिकार छूटा हो !
वह भी ऐसा शिकार कि जिसकी
ज़िन्दगी की सलामती के लिए
दुवाएं मांगने वाले भी कैसे काँपे हैं
कहीं जान न जाएँ दलाल या गुंडे
और किसी ऐसे ही नए मुक़दमे में
कोई धारा लगाके बेड़ न दे
आइये दें बधाई खूब उसे
और चुपके से खिसक लें भाई
अपनी भी ज़िन्दगी अभागी है
हम तो हर दिन ही खोदते हैं कुआँ
और हर रात प्यासे सोते हैं
जितना पाते नहीं हैं उससे भी
खूब ज्यादा सुकून खोते हैं
हर कदम खूब सहे हैं ज़िल्लत
ज़िन्दगी बोझ-बोझ ढोते हैं
भेड़िये घूम रहे हैं देखो
उनसे बचके निकलने की कला
सीखना आज की ज़रूरत है....
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