Total Pageviews

Tuesday, May 24, 2011

कविता छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ के कविओं की कविताओं पर केन्द्रित " कविता छत्तीसगढ़" एक ऐसा प्रयास है, जिसमे छत्तीसगढ़ के जन-जीवन, लोक-रंग, मिटटी की  खुशबु, और नव चेतना के दर्शन अनायास मिल जाते हैं...
श्री सतीश जयसवाल जी हिंदी के वरिष्ठ कथाकार, कवि, यायावर और संस्मरण लेखक के रूप में प्रसिद्द हैं, उनकी कोशिशों का नतीजा है "कविता  छत्तीसगढ़"
पुस्तक के सफल सम्पादन का श्रेय सतीश जायसवाल को जाता है, पुस्तक की भूमिका लिखी है श्री विश्वरंजन ने . 
छत्तीसगढ़ के १०३ कविओं की कविताओं को समेटे ४४० पृष्ठ की किताब के 
                                            प्रकाशक हैं :
                                            वैभव प्रकाशन , अमीनपारा चौक , पुरानी बस्ती , रायपुर छ ग
                                             मूल्य ५००

Friday, May 20, 2011

छोटे बहर की ग़ज़ल

मनेन्द्रगढ़ : हसदो साईट












 हदों     का   सवाल   है
यही    तो    वबाल   है.

दिल्ली या लाहोर क्या 
सबका   एक  हाल  है 

भेडिये  का  जिस्म है 
आदमी  की  खाल  है 

अँधेरे  बहुत    मगर 
हाथ  में  मशाल   है 

: अनवर सुहैल 

Sunday, May 15, 2011

हंस मई २०१० में प्रकाशित कहानी "नीला हाथी"

हंस मई २०१० कहानी : अनवर सुहैल 
हंस मई २०१० में मेरी कहानी "नीला हाथी" प्रकाशित हुई है...

अंधविश्वाश में खिलाफ जिहाद करती कहानी से कुछ उद्धहरण प्रस्तुत हैं :
"ये मज़ार न होते तो क़व्वालिये बेकार हो गए होते, तो श्रद्धालु  इतनी  गैरजरूरी यात्राएं न करते और बस - रेल में भीड़ न होती. ये मज़ार न होते तो लड़का पैदा करने की इच्छाएं दम तोड़ जाती. मज़ार न होतो तो जादू-टोने जैसे छुपे दुश्मनों से आदमी कैसे लड़ता? ये मजार न होते तो खिदमतगारों, भिखारिओं, चोरों और बटमारों को अड्डा न मिलता?"

"मैंने कई मजारों की सैर की . सभी जगह मैंने पाया की वहाँ इस्लाम की रौशनी नदारत थी. था सिर्फ और सिर्फ अकीदतमंदों की भावनाओं से खेलकर पैसा कमाना . मैं तो सिर्फ मूर्तियाँ बनाया करता था, लेकिन इन जगहों पर मैंने देखा की एक तरह से मूर्तिपूजा ही तो हो रही है. तभी मेरे दिमाग में ये विचार आया की मैं भी पाखण्ड करके देखता हूँ."

आप भी 'नीला हाथी " कहानी पढ़ें और अपने विचारों से अवगत कराएं ....