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Wednesday, June 1, 2011

कैसे बने बात

अमृता   शेरगिल 









एक देखता राह
एक व्यस्त दिन रात
एक बाँधता गिरह
एक खोलता गाँठ
एक चाहता मान
एक खुद परेशान
दोनो जैसे नदी के दो पाट
कैसे बने बात...

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