गुरुवार, 23 जून 2011


 

 पढ़ रहा हूँ अखिलेश की किताब 'मकबूल' 
जैसे देख रहा हूँ हुसैन के घोड़े
जैसे देख रहा हूँ हुसैन की सफ़ेद दाढ़ी
जैसे देख रहा हूँ हुसैन की लम्बी उन्गलिओं में सजा ब्रश
जैसे देख रहा हूँ क़तर में जलावतन हुसैन
...
जैसे देख रहा देवी देवताओं के बीच हुसैन
जैसे देख रहा हूँ त्रिशूल से फाड़ी जाती
और मशाल में जलती पेंटिंग्स....

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