गुरुवार, 9 जून 2011

धरना प्रदर्शन











राज-मैदान मेँ
राजा की मर्ज़ी बिना
व्यवस्था के ख़िलाफ़
झुनझुने बजने लगे
आ जुटे तमाशबीन

झुनझुनोँ का शोर
भाया नहीँ
राजा के चमचोँ को
आनन-फानन
राजा की फौज आ गई

झुनझुने तोड़े जाने लगे
बजाने वाले भागे
बजवाने वाले भागे
तमाशबीनोँ  घायल हुए

तमाशबीनोँ को
ताली बजाने के सिवा 
आता न था कुछ
तमाशबीन आदतन
पाला बदल
करने लगे
राजा का गुणगान...
समझे श्रीमान !

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कई चाँद थे सरे आसमां : अनुरोध शर्मा

कुमार मुकुल की वाल से एक ज़रूरी पोस्ट : अनुरोध शर्मा पहले पांच पन्ने पढ़ते हैं तो लगता है क्या ही खूब किताब है... बेहद शानदार। उपन्यास की मुख्...