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Wednesday, October 24, 2012
saboot / सबूत
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एक अच्छी कविता।
ReplyDeleteबेहतरीन ....
ReplyDeleteमित्र,एक विचार पैदा करने वाली कविता,जो सोचने पर मजबूर करती है,कि,क्या आज का इन्सान भूल गया है उसके अपने खून के रंग के बारे में?
ReplyDeleteजब दिल जलता है तो ऐसी ही कविता मजबूर होकर कवी लिखने लगता है !
बकरीद के इस पाक दिन पर आप इस दोस्त का मुबारक कुबूल करे !
आदाब