बुधवार, 24 अक्टूबर 2012
saboot / सबूत
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कई चाँद थे सरे आसमां : अनुरोध शर्मा
कुमार मुकुल की वाल से एक ज़रूरी पोस्ट : अनुरोध शर्मा पहले पांच पन्ने पढ़ते हैं तो लगता है क्या ही खूब किताब है... बेहद शानदार। उपन्यास की मुख्...
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एक अच्छी कविता।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन ....
जवाब देंहटाएंमित्र,एक विचार पैदा करने वाली कविता,जो सोचने पर मजबूर करती है,कि,क्या आज का इन्सान भूल गया है उसके अपने खून के रंग के बारे में?
जवाब देंहटाएंजब दिल जलता है तो ऐसी ही कविता मजबूर होकर कवी लिखने लगता है !
बकरीद के इस पाक दिन पर आप इस दोस्त का मुबारक कुबूल करे !
आदाब