उसके कहने पर
हमने किये गुनाह
खुद फंस जाने का
जोखिम उठाते हुए
उसकी खुशी के लिये
हमने किये अत्याचार
बेज़ुबानों पर
निहत्थों पर
मासूमों पर..
उसकी नज़दीकी पाने के लिये
हमने की चुगलियां
ऎसे लोगों की
जो जेनुईन थे
जो प्रतिबद्ध थे
जो उसके निज़ाम के खिलाफ़ थे...
उसने हमारी प्रतिभा का
भरपूर किया दोहन
और हम खुशी-खुशी
बने रहे उसके औज़ार
बजते रहे झुनझुनों की तरह
लगातार....बार-बार...
एक दिन ऎसा भी आया
जब करके हमारा इस्तेमाल
वो चला गया
एक नये द्वीप में
एक नई चारागाह की तलाश में
छोड़ कर हमें
दुश्मनों के बीच
जो कभी हमारे अपने थे...
और हम अपनों की निगाह में
बन गये बौने
टूटे खिलौने
हो गया हमारा वजूद औने-पौने....