गज़ा के नौनिहालों
तुम्हारे दुःख और पीड़ा की कोई तुलना नहीं है।
अगर यही सब चलता रहा
तब एक मिटती जा रही नस्ल के नौनिहालों
तुम भी एक दिन खत्म हो जाओगे।
तुम्हें इस ग़म को भूलने का कोई मौक़ा नहीं मिलेगा
सिर्फ़ ग़म है जो जिंदा रहेगा
और वह धरती भी
जो तुम्हारा बिछौना थी।
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