शुक्रवार, 3 जनवरी 2014

किधर जाएँ...

के रविन्द्र की पेंटिंग 
और कितना दर्द दोगे 

और कितनी चोट खाएं 


और कब तक


सहनी पड़ेंगी 


अनवरत ये यातनाएं..



अब तो जी घबरा रहा,


सुनकर तुम्हारी


मरहमी सी घोषणाएं....



हर तरफ से घिर चुके अब, 


ये बता दो


भाग कर 


हम किधर जाएँ ....

-----अ न व र सु है ल -----

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