छोटे-छोटे गोयबल्स

कोई तो बतलाये
कैसे बचा जाए
आये दिन पैदा हो रहे हैं
छोटे-छोटे लाखों गोयबल्स
झूठ को सच में बदलने में माहिर हैं ये
यही तो करते आये हैं कि एक दिन
भीमकाय झूठ के आगे बौना हो गया सच
धड़ाधड़ हो रहा उत्पादन
उनकी फैक्ट्रियों से रेडीमेड झूठ का
सदियों से स्थापित सच को विस्थापित करते झूठ
हम इने-गिने लोग ही तो बचे हैं
जो समझते हैं कि अंत में सच की होती है विजय
लेकिन यह विश्वास भी अब डगमगाने लगा है
वैकल्पिक तौर पर झूठ का मुकाबला
और बड़े झूठ से करने की कवायद ठीक नहीं है भाई
सच के साथ डटे रहना है हमें
आओ कि कोशिश करें
कि थोडा सा सब्र और थोड़ा सा आत्मबल
इस कठिन समय में बचा कर रखा जाए.....
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