कैसे कह दें कि हम भी खुश हैं
रोज़ इक इम्तिहान देते हैं
और हर शाम फैल हो-होकर
ग़म के झुरमुट में गुम हो जाते हैं
रोज़ इक इम्तिहान देते हैं
और हर शाम फैल हो-होकर
ग़म के झुरमुट में गुम हो जाते हैं
मायूसियां पीछा छोड़ती नहीं
खामोशियां चीखना चाहे हैं
बड़बोलों ने समय को हाय साध लिया
कुछ दबंगों ने रस्ता रोक लिया
झिलमिल सी उम्मीदें भी साथ न दें तो
आप कहिये कि हम कहां जाएं।।।
खामोशियां चीखना चाहे हैं
बड़बोलों ने समय को हाय साध लिया
कुछ दबंगों ने रस्ता रोक लिया
झिलमिल सी उम्मीदें भी साथ न दें तो
आप कहिये कि हम कहां जाएं।।।
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