मंगलवार, 13 मार्च 2018

किसान के पाँव

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उखड़ी हुई चमड़ी वाले खून-आलूदा 

पैर के तलवे की तस्वीरों ने जैसे 
सोख लिए हों अचानक जीवन से 
तमाम तरह के रस और आस्वाद 
बेहद कडुवा-कसैला और चिडचिडा 
होता गया है मन और मिजाज़
ऐसे में आज के दिन दोस्तों
बेहतर है खामोश ही रहा जाए...
(महाराष्ट्र के किसानों की पदयात्रा संघर्ष)


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   इसी तारतम्य में कुछ और विचार :
भक्त परेशान हैं कि कोई तमाशा न हुआ
ये कोई भीड़ नहीं थी महज़ इक आंधी थी
हक़ की यह जंग अभी और लड़ी जायेगी
धरती-पुत्रों ने फ़कत राह तलाशी है अभी।
(किसान आंदोलन, मार्च २०१८)

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