बुधवार, 20 जून 2018

वाजिब है मारा जाना तुम लोगों का

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तुम लोगों का मारा जाना वाजिब है
भूख और अभाव से नहीं मरे
तो गोलियां हैं ही हमारे पास
हम तुम्हें मरने में मदद करने के लिए
दिन-रात बनाते हैं योजनायें 
कितने ज्यादा विकल्प हैं तुम्हारे पास
एडियाँ रगड़ कर मर सकते हो
सिसक-सिसक के भी मर सकते हो
फंदा डाल झूल सकते हो किसी पेड़ पर
अगर फिर भी नहीं मर पाए
तो हमारी चौबीस घंटे खुली हेल्पलाइन हैं ही
हम मदद के लिए तत्पर हैं
तुम सिर्फ मजदूर नहीं हो सकते
तुम सिर्फ किसान नहीं हो सकते
तुम्हें होना होगा हिन्दू या मुसलमान
आदिवासी या दलित या फिर स्त्री
इससे तुम्हें विकल्प चुनने में होगी आसानी
क्योंकि खालिस इंसानों के लिए
हमारी हेल्पलाइन अभी अपडेट नहीं है
इसके लिए कुछ रोज़ करना होगा इंतज़ार
रोटी और रोज़गार मत मांगो
हम तुम्हें कितना सस्ता डाटा दे रहे हैं
नई पीढ़ी समझदार है
इसकी हमें हर चुनाव में दरकार है
हमें ख़ुशी है की यह नई पीढ़ी
अकारण मरने-मारने के लिए हो रही तैयार है
(20 जून 2018)

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