चुप रहकर भी बोल दी जाती हैं बातें
हम जिस दौर में हैं
हमें आदत डालनी होगी
चुप की भाषा डिकोड करने की
हम जिस दौर में हैं
हमें आदत डालनी होगी
चुप की भाषा डिकोड करने की
मुट्ठियाँ अब नहीं लहराती हवा में
इशारों पर भी लगे हैं पहरे
हुंकारी भरने वाली अवाम की ब्रीड
कर ली गई है ईजाद
सुबहो-शाम, दिन-रात
गालियों की नई खेप उतरती है
इशारों पर भी लगे हैं पहरे
हुंकारी भरने वाली अवाम की ब्रीड
कर ली गई है ईजाद
सुबहो-शाम, दिन-रात
गालियों की नई खेप उतरती है
प्रतिरोध का गला घोंटने वालों को
मिल रहा इनामो-इकराम
आलोचकों को दी गई है ड्यूटी
कविता में तलाशें कला-तत्व
आह-कराह में कहाँ होता है सौन्दर्य
कहाँ होती है कला?
सुर की तलाश जहाँ खत्म होती है
परिवर्तन के नव-राग वहाँ फूटेंगे
बस ज़रूरत है एक बार और
मिजाज़ से फेंका जाए जाल
मिल रहा इनामो-इकराम
आलोचकों को दी गई है ड्यूटी
कविता में तलाशें कला-तत्व
आह-कराह में कहाँ होता है सौन्दर्य
कहाँ होती है कला?
सुर की तलाश जहाँ खत्म होती है
परिवर्तन के नव-राग वहाँ फूटेंगे
बस ज़रूरत है एक बार और
मिजाज़ से फेंका जाए जाल
जाग, ओ मेरे मीत जाग
देख बुझने न पाए भीतर की आग
जाग ओ मेरे मीत
समय रहते जाग!
देख बुझने न पाए भीतर की आग
जाग ओ मेरे मीत
समय रहते जाग!