मैं ग़मज़दा हूँ
और खामोश हूँ
एक खुन्नस सी तारी है
अपने दुखों का बयान
सिर्फ मैं ही क्यों करूँ
मेरी अपील है हमख़यालों से
मुझसे दुखों के बोझ उठाया नहीं जाता
अपने काँधे दे दो यारों
जैसे हम मिलजुलकर पहले भी
बांट लिया करते थे सुख-दुख
मैं यक़ीन है मेरी खामोशी से
तुम भी हो जाते हो गूंगे
मेरी तहरीरों को सदा तुमने
अपनी आवाज़ समझ दुलारा है
मेरी खामोशी को
दे दो अपनी आवाज़
कि इस खामोशी से
घुटता है दम।।।
(बीती रात बिटिया जामिया होस्टल में थी और हम सब ख़ौफ़ज़दा थे)
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