रविवार, 9 मार्च 2025

बात होनी चाहिए



रंजिशों के दौर में भी कह रहे हैं
मुलाक़ात होनी चाहिए
और बात होनी चाहिए
रंजिशी माहौल में भी
दो किनारों को जोड़ता सा
एक जो पुल बन रहा है
तामीर उसकी चलती रहे
कोशिशें होती रहें
कि गाहे-बगाहे बात होनी चाहिए

एक रिश्ते का तसव्वुर झिलमिलाता,
धुंधला होकर गुम होता सा
और उसी बनते-बिगड़ते
रिश्ते की कसमें खा-खाकर
रंजिशों के नेजे से
दोस्ती से जख्म हमेशा हरे रहेंगे….

ये बता दो पूछते हैं लोग सारे
दोस्ती करनी नहीं जब
फिर वहां पर कौन सी मजबूरियाँ हैं
सच कहूँ तो गौर कर लो
रिश्तों के बीच देखो दूरियां ही दूरियां हैं
दूरियां बढ़ती रहेंगी
और बनने से पहले ही टूटकर
गिर जाएगा पुल….

रंजिशें, कडुवाहटें, सरगोशियाँ सब
दोस्ती की राह में दुश्वारियां पैदा करते हैं
लेकिन जब इनसे उबरकर राह तय हो जाती है
दोस्ती की मंजिल ही आती है…

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें