सोमवार, 22 सितंबर 2025

उम्मीदें



उम्मीदें जिंदा रखती हैं
मोतियाबिंद पीड़ित आंख वाली मां को
उम्मीदें जिंदा रखती हैं
बदन दर्द से परेशान खुदमुख्तार पिता को
उम्मीदें जिंदा रखती हैं
भाई के आने की बाट जोहती बहन को
उम्मीदें जिंदा रखती हैं
मरम्मत का इंतेज़ार करते पैतृक मकान को
उम्मीदों का होना कितना जरूरी है न !

शनिवार, 20 सितंबर 2025

हो सकता है कुछ भी



हो सकता है कुछ भी

बस सही रणनीति तो बने
बीपी शुगर नामर्दी के शिकार
ऐसे बूढ़ों को बख़्श दो यार
उनसे कोई उम्मीद न रखो
निकाल बाहर किया जाए उन्हें
सृष्टि की सुख सुविधाओं का बहुत उपयोग
कर लिया उनने कि नौजवानों के हिस्से का सुख
उनकी नज़र में है, होशियार मेरे युवा यार
तुम्हें अपने तरीके से सजाना है संसार
हो सकता है कुछ भी
कर सकते हो तुम कुछ भी
खुद की ताक़त को पहचानो।।।।