गुरुवार, 27 नवंबर 2025

ग़ज़ल : जैसे बेढब प्रश्न तुम्हारे

ग़ज़ल 



जैसे बेढब प्रश्न तुम्हारे
वैसे उल्टे उत्तर सारे

चुटकी में कैसे हल होंगे
दुनिया भर के मसले प्यारे

बहलाओ पर कुछ तो सोचो
मूर्ख नहीं हैं दर्शक सारे

दो दो टके में मिल जायेंगे
शेख-बरहमन औ' हत्यारे

हाथ हमारे कितने छोटे
फिर भी तोड़ लाएंगे तारे 

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