मंगलवार, 18 जून 2013

दुःख सहने के अभ्यस्त लोग

-के रवीन्द्र का रेखांकन-



















उनके जीवन में है दुःख ही दुःख

और हम बड़ी आसानी से कह देते

उनको दुःख सहने की आदत है...

वे सुनते अभाव का महा-आख्यान

वे गाते अपूरित आकांक्षाओं के गान

चुपचाप सहते जाते जुल्मो-सितम

और हम बड़ी आसानी से कह देते

अपने जीवन से ये कितने सतुष्ट हैं...

वे नही जानते कि उनकी बेहतरी लिए

उनकी शिक्षा, स्वास्थय और उन्नति के लिए

कितने चिंतित हैं हम और

सरकारी, गैर-सरकारी संगठन

दुनिया भर में हो रहा है अध्ययन

की जा रही हैं पार-देशीय यात्राएं

हो रहे हैं सेमीनार, संगोष्ठिया...

वे नही जान पायेंगे कि उन्हें

मुख्यधारा में लाने के लिए

तथाकथित तौर पर सभ्य बनाने के लिए

कर चुके हजम हम

कितने बिलियन डालर

और एक डालर की कीमत

आज पचपन रुपये है...!

2 टिप्‍पणियां:

  1. तथाकथित तौर पर सभ्य बनाने के लिए

    कर चुके हजम हम

    कितने बिलियन डालर

    और एक डालर की कीमत

    आज पचपन रुपये है...!
    VERY NICE PRESENTATION .

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