सोमवार, 18 दिसंबर 2017

लेकिन दिल नहीं बहला

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पहले बहल जाता था दिल
मरहम के इक फाहे से भी
आज जाने क्या हुआ
लोग आए, सभी ने की दुवाएं भी
लेकिन दिल नहीं बहला 
हरारत भी रही आई
कि घबराहट अब भी वैसी है
मुझे मालूम है ओ चारागर तुम भी
इधर कुछ खोए रहते हो
तुम्हारे इल्मो-हुनर पर भी
किसी ने कर दिया है कुछ
दवाएं बेअसर हैं अब।
ज़रा सोचो, ज़रा समझो
कोई तो राह निकलेगी
चलो फिर कोई नुस्खा
करें ईजाद कुछ ऐसा
कि जिससे इस जहां में फिर
भरोसा हो जाए खुद पर।।।।।

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