कब तलक चलता रहेगा
मनमानी का कारोबार
कब तलक खामोशियों को
अनसुना करती रहेंगी
कत्लगाहों की चीत्कारें
मनमानी का कारोबार
कब तलक खामोशियों को
अनसुना करती रहेंगी
कत्लगाहों की चीत्कारें
कब तलक छाई रहेंगी बदलियाँ
कब तलक सिमटी रहेंगी परछाइयां
कब तलक लगती रहेंगी बंदिशें
कब तलक सिमटी रहेंगी परछाइयां
कब तलक लगती रहेंगी बंदिशें
आइये और देखिये तो गौर से
उस भीड़ में लाचारी है, गुस्सा भी है
तमतमाए हैं कई चेहरे, भिंची हैं मुट्ठियाँ
ये कोई आयातित बंदे नहीं हैं
ये कोई प्रायोजित धंधे नहीं हैं
खुद-ब-खुद आये हैं भूखे हैं मगर
खुद्दार इतने हैं कि बस खामोश हैं
उस भीड़ में लाचारी है, गुस्सा भी है
तमतमाए हैं कई चेहरे, भिंची हैं मुट्ठियाँ
ये कोई आयातित बंदे नहीं हैं
ये कोई प्रायोजित धंधे नहीं हैं
खुद-ब-खुद आये हैं भूखे हैं मगर
खुद्दार इतने हैं कि बस खामोश हैं
मेरी आँखों से देखो दिख जायेंगी
अनगिनत ज़ुल्मो-सितम की दास्तान
कोई टीवी कोई अखबार नहीं इनके लिए
कोई खुदाई मददगार नहीं इनके लिए
मुद्दतों से हैं ये मजलूम ठगी के शिकार
फिर कोई डाका न डाले होशियार
अनगिनत ज़ुल्मो-सितम की दास्तान
कोई टीवी कोई अखबार नहीं इनके लिए
कोई खुदाई मददगार नहीं इनके लिए
मुद्दतों से हैं ये मजलूम ठगी के शिकार
फिर कोई डाका न डाले होशियार
हर किसी के मन में इक उम्मीद है
इस उम्मीद से हमें भी बड़ी उम्मीद है......
इस उम्मीद से हमें भी बड़ी उम्मीद है......
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