केपी उर्फ़ कुंवरपाल सिंह
वह एक सजग बागवान था
अच्छी नस्ल के पौधों की
देखभाल तो सभी किया करते हैं
वह सींचता था कमज़ोर पौधों को
वह पौधों के अनुकूल करता था वातावरण तैयार
वह पौधों को 'शेप' देता था
वह एक सजग बागवान था
वह जनता था की
फूल उसके किसी काम के नहीं
फल से उसे मतलब न था
फिर भी वह निस्वार्थ
देखता था पौधों को
ऐसी नज़र से
जैसे देखती हो माँ
अपने बच्चों को
अनवर सुहैल