अनवर सुहैल की कविता %
चावल का दाना
बचपन से इस्तेमाल करते रहने के बावजूद
सचमुच] तुम्हारी तरह
मैं भी नहीं जानता था
कि बनता है कैसे चावल का एक दाना
ऐसा नहीं कि हम करोडपति के बेटे हैं
ऐसा नहीं कि हम महानगरों में पले बढे हैं
लेकिन मध्यम वर्गीय परिवार में
हाथ पहुंच सुविधाओं के बीच
जन्म लेने के कारण
नहा नहीं पाए हम किसी नदी में
आउटडोर संडास में लोटा लेकर गए नहीं
ढिबरी की रोशनी में पढे नहीं कभी
बारिश में टपकती छप्पर के नीचे रहे नहीं कभी
शायद इसीलिए जाने नहीं खेत खलिहान की हक़ीक़त
किसानों के दुख दर्द
और जान नहीं पाए] कैसे बनता है चावल का एक दाना---
तुम्हारी तरह] मैं यही जानता था
कि हर महीने के पहले सप्ताह
पिता पाते पगार
हो जाते थे उदार
और फ़िर भर जाते घर के
तमाम डब्बे कनस्तर] राशन पानी से
स्कूल फ़ीस का समय से होता था भुगतान
फटने से पहले मिल जाते थे नए वस्त्र
तीज त्योहार विधि विधान से मनते थे
और हमें क्या चाहिए था
जो रहें परेशान कि चावल कैसे है बनता\
खेतों को देखा था हमने सफ़र के दौरान
ट्रेन या बस की खिडकी से
या बम्बइया सिनेमा के
गांव] गाय] गंवार और गोरी प्रसंग
या प्रेमचंद साहित्य के
किसान महाजन] खेत खलिहान
कीचड कांदो और अंधेरे के साम्राज्य
इतना ही तो था
गांव और खेतों से परिचय हमारा
हम नहीं जानते थे
कि सदियों से
साहूकारों] ज़मीन्दारों] वर्दीधारियों
और नेताओं से जूझता आ रहा किसान
नहीं हुआ आज तक
उनकी समस्या का कोई समाधान
चावल का एक दाना बनना
एक कठिन प्रक्रिया है दोस्त
श्रम साध्य] उबाऊ] एक बेहद लम्बी साधना है
इसे मैंने जाना
खदान में काम पर जाने के दौरान
खेतों के बीच से गुज़रते हुए
लगभग छ% माह की
हाड तोड इबादत का फ़ल है
चावल का एक दाना
किसानों की उम्मीदों के धूप-छांव का
किसानों के पसीने के छिडकाव का
मेहनतकश गीतों की आरती का
होता है प्रतिफल चावल का एक दाना
जब हम गर्मियों में
ठंडक खोजने जाते पहाडों में]
ठीक उसी समय
कितनी शिद्दत से देखता किसान
आग उगलते सूने आसमान में
खोजता बादलों के निशान
निहारता खेत की मिट्टी
जो उसकी एडियों की तरह
दीखती कटी फटी
ऐसे समय में
जब आप देख रहे होते ख्वाब
रियल स्टेट में इन्वेस्टमेंट का
किसान देखता स्वप्न
पानी से भरे झूमते बादलों का
जब आप को होती चिन्ता
सेंसेक्स में गिरावट की
किसान खेत जुताई के लिए रहता परेशान
उसे होती चिन्ता
बीज और खाद का कैसे होगा जुगाड
बरसे नहीं भगवान तो फिर
बिटिया के गौने का कैसे होगा इंतेज़ाम
कैसे पटेगा साहूकार का कर्ज़ श्रीमान
भारत किसानों का देश है
यहां चंद लोग इंडिया में रहते हैं
जो नहीं जानते कि
चावल किसी कारखाने का उत्पाद नहीं
बल्कि खेत में पैदा किया जाता है
वे जानना भी नहीं चाहते
कि चावल उगाया जाता है कैसे
कैसे बोया जाता है बीज
कैसे धान की बालियों में आता है दूध
कैसे पकती हैं धान की बालियां
कैसे लीप-पोत कर किया जाता तैयार खलिहान
जैसे धान हो किसान के मेहमान
अन्नपूर्णा देवी का वरदान---
इसीलिए मैने चाहा] बता दूं तुम्हें दोस्त
कि चावल के एक दाना
बनता कितनी मुश्किलों से है---
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Sunday, November 29, 2009
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