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Friday, August 31, 2012
कोयला
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बिभूति कुमार झा Anwar Suhail अनवर सुहैल साहेब की लिखी कहानी संग्रह "गहरी जड़ें" पढ़कर अभी समाप्त किया है। बहुत ही सार्थ...
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(रचनासंसार ब्लॉग अब तक मैं सिर्फ अपनी रचनाओं के लिए जारी रक्खे हुए था, लेकिन अब लगता है कि इस ब्लॉग का विस्तार किया जाए. काव्यानुवादक च...
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دہشتگرد پہلے ٹی وی پر اس کی تصاویر دكھلاي گئیں، پھر خبریں - خطوط نے اس کے بارے میں لانتے - ملامتے کی تو شہر کا ماتھا ٹھنكا. '...
'मुझे फख्र है कि मेरी मेहनत से
ReplyDeleteभागता है अंधियारा संसार का
मुझे फख्र है कि मेरे पसीने कि बूँदें
परावर्तित करती हैं सहस्रों प्रकाश पुंज
खदान से निकला हूँ
चेहरा देख हंसो मत मुझ-पर
ये कालिख नही पुती है भाई
ये तो हमारा तिलक है...श्रम-तिलक
कोयला खनिकों का श्रम-तिलक!!!'Excellent lines