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Friday, August 31, 2012
कोयला
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बिभूति कुमार झा Anwar Suhail अनवर सुहैल साहेब की लिखी कहानी संग्रह "गहरी जड़ें" पढ़कर अभी समाप्त किया है। बहुत ही सार्थ...
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09 अक्टूबर 1964 को छत्तीसगढ़ के जांजगीर में जन्में अनवर सुहैल जी के अब तक दो उपन्यास , तीन कथा संग्रह और एक कविता संग्रह प्रकाशित हो च...
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आदमी की पहचान क्या है? उसकी जाति? मज़हब? पद, प्रतिष्ठा, या काबिलियत? आदमी इन द्वंद ्वों में जीता रहा है। सामंती समाजों में जाति ...
'मुझे फख्र है कि मेरी मेहनत से
ReplyDeleteभागता है अंधियारा संसार का
मुझे फख्र है कि मेरे पसीने कि बूँदें
परावर्तित करती हैं सहस्रों प्रकाश पुंज
खदान से निकला हूँ
चेहरा देख हंसो मत मुझ-पर
ये कालिख नही पुती है भाई
ये तो हमारा तिलक है...श्रम-तिलक
कोयला खनिकों का श्रम-तिलक!!!'Excellent lines