शुक्रवार, 25 जनवरी 2013

कोयला खदान के अँधेरों में

के रविन्द्र की पेंटिंग
मेरी कविताओं में    


नही दीखते उड़ान भरते पंछी

नहीं दीखता शुभ्र-नीला आकाश

नही दीखते चमचमाते नक्षत्र

नही दीखता अथाह विशाल समुद्र

नही दीखता सप्तरंगी इन्द्रधनुष

क्या ऐसा इसलिए है

कि भूमिगत कोयला खदान के अँधेरों में

खो गयी मेरी कल्पना शक्ति

खो गयी मेरी सृजनात्मक दृष्टि

खो गयी मेरी अभिव्यक्ति....!

शनिवार, 19 जनवरी 2013

आशा

हिना फिरदौस मेरी बिटिया

वह बोलती
रेखाओं की भाषा
जीवन की

इक नई परिभाषा
देती पिता को

भरपूर दिलासा
पापा

"मुझमे है आशा ही आशा!"

tum kaisi harkat karte ho....

तुम कैसे बहके-बहके हो


तुम कैसे उलझे-सुलझे हो

तुम कैसी बातें करते हो

तुम कैसी हरकत करते हो

कोई जान नहीं पाता है

कोई बूझ नहीं पाता है

सब तुमसे डरते रहते हैं

सब तुमरी बातें करते हैं

चाहे तुम उनको देखो न

चाहे तुम उनको चाहो न

चाहे तुम उनको दुतकरो

फिर भी वो तुमपे मरते हैं

सब तुमसे उल्फत करते हैं...

सोमवार, 14 जनवरी 2013

मत भेज एसएमएस


मत भेजो मुझे


प्यार भरे एसएमएस

थोक भाव में

समय-कुसमय

रात-बिरात....

मुझे मालूम है

नही बना सकते तुम,

भावनाओं से ओत-प्रोत ऐसे संदेशे...

नही लिख सकते तुम

प्रेम-प्रीत में डूबी ऐसी पंक्तियाँ...

इन्हें ज़रूर किसी और ने

भेजा है तुम्हें

जिसे तुम बिना सोचे-समझे

कर देते हो अग्रसारित...

कि मैं भाव-विभोर हो जाऊँगा

पढकर इन्हें...

ये तुम्हारी भूल है मेरे दोस्त...

इन्हें पढकर मुझे ऐसा लगता है

जैसे सुबह की बनी चाय पी रहा हूँ शाम को...

जैसे खा रहा हूँ टिफिन में क़ैद बासी आलू-पराठे..

इसीलिये मत भेजो मुझे

प्यार-मनुहार भरे बासी एसएमएस!

लिख सकते हो तो लिखो

खुद की बातें..

खुद के किस्से...

अपनी जुबानी

राम-कहानी...

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