के रविन्द्र की पेंटिंग |
नही दीखते उड़ान भरते पंछी
नहीं दीखता शुभ्र-नीला आकाश
नही दीखते चमचमाते नक्षत्र
नही दीखता अथाह विशाल समुद्र
नही दीखता सप्तरंगी इन्द्रधनुष
क्या ऐसा इसलिए है
कि भूमिगत कोयला खदान के अँधेरों में
खो गयी मेरी कल्पना शक्ति
खो गयी मेरी सृजनात्मक दृष्टि
खो गयी मेरी अभिव्यक्ति....!
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