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Saturday, January 19, 2013

tum kaisi harkat karte ho....

तुम कैसे बहके-बहके हो


तुम कैसे उलझे-सुलझे हो

तुम कैसी बातें करते हो

तुम कैसी हरकत करते हो

कोई जान नहीं पाता है

कोई बूझ नहीं पाता है

सब तुमसे डरते रहते हैं

सब तुमरी बातें करते हैं

चाहे तुम उनको देखो न

चाहे तुम उनको चाहो न

चाहे तुम उनको दुतकरो

फिर भी वो तुमपे मरते हैं

सब तुमसे उल्फत करते हैं...

2 comments:

  1. एक डर अंजना सा ,मन के भीतर कहीं छिप के बैठा हुआ है

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  2. छिप के बैठा हुआ है, एक डर ! मन के भीतर |JAI BHARAT

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