तुम कैसे बहके-बहके हो
तुम कैसे उलझे-सुलझे हो
तुम कैसी बातें करते हो
तुम कैसी हरकत करते हो
कोई जान नहीं पाता है
कोई बूझ नहीं पाता है
सब तुमसे डरते रहते हैं
सब तुमरी बातें करते हैं
चाहे तुम उनको देखो न
चाहे तुम उनको चाहो न
चाहे तुम उनको दुतकरो
फिर भी वो तुमपे मरते हैं
सब तुमसे उल्फत करते हैं...
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09 अक्टूबर 1964 को छत्तीसगढ़ के जांजगीर में जन्में अनवर सुहैल जी के अब तक दो उपन्यास , तीन कथा संग्रह और एक कविता संग्रह प्रकाशित हो च...
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(रचनासंसार ब्लॉग अब तक मैं सिर्फ अपनी रचनाओं के लिए जारी रक्खे हुए था, लेकिन अब लगता है कि इस ब्लॉग का विस्तार किया जाए. काव्यानुवादक च...
एक डर अंजना सा ,मन के भीतर कहीं छिप के बैठा हुआ है
ReplyDeleteछिप के बैठा हुआ है, एक डर ! मन के भीतर |JAI BHARAT
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