तुम कैसे बहके-बहके हो
तुम कैसे उलझे-सुलझे हो
तुम कैसी बातें करते हो
तुम कैसी हरकत करते हो
कोई जान नहीं पाता है
कोई बूझ नहीं पाता है
सब तुमसे डरते रहते हैं
सब तुमरी बातें करते हैं
चाहे तुम उनको देखो न
चाहे तुम उनको चाहो न
चाहे तुम उनको दुतकरो
फिर भी वो तुमपे मरते हैं
सब तुमसे उल्फत करते हैं...
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دہشتگرد پہلے ٹی وی پر اس کی تصاویر دكھلاي گئیں، پھر خبریں - خطوط نے اس کے بارے میں لانتے - ملامتے کی تو شہر کا ماتھا ٹھنكا. '...
एक डर अंजना सा ,मन के भीतर कहीं छिप के बैठा हुआ है
ReplyDeleteछिप के बैठा हुआ है, एक डर ! मन के भीतर |JAI BHARAT
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