सोमवार, 14 जनवरी 2013

मत भेज एसएमएस


मत भेजो मुझे


प्यार भरे एसएमएस

थोक भाव में

समय-कुसमय

रात-बिरात....

मुझे मालूम है

नही बना सकते तुम,

भावनाओं से ओत-प्रोत ऐसे संदेशे...

नही लिख सकते तुम

प्रेम-प्रीत में डूबी ऐसी पंक्तियाँ...

इन्हें ज़रूर किसी और ने

भेजा है तुम्हें

जिसे तुम बिना सोचे-समझे

कर देते हो अग्रसारित...

कि मैं भाव-विभोर हो जाऊँगा

पढकर इन्हें...

ये तुम्हारी भूल है मेरे दोस्त...

इन्हें पढकर मुझे ऐसा लगता है

जैसे सुबह की बनी चाय पी रहा हूँ शाम को...

जैसे खा रहा हूँ टिफिन में क़ैद बासी आलू-पराठे..

इसीलिये मत भेजो मुझे

प्यार-मनुहार भरे बासी एसएमएस!

लिख सकते हो तो लिखो

खुद की बातें..

खुद के किस्से...

अपनी जुबानी

राम-कहानी...

2 टिप्‍पणियां:

  1. क्या बात है जी ...बहुत खूब


    अपने मन की उदासी को छिपा के जी
    दूसरे की मुस्कान में,खुद को पा कर के जी
    जिंदगी है बस अब ओर थोड़ी सी
    तुम अपने संग,गैरों के बाते भूला कर जी ||...अंजु(अनु)

    जवाब देंहटाएं
  2. सच कहा है ... अपने दो बोल ही काफी होते हैं ... कम से कम अपने तो होते हैं ...

    जवाब देंहटाएं

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