टीवी से दूर भागा मैं
यह आसान तो नहीं था
क्योंकि सिर्फ
एक मैं ही तो नहीं था दर्शक पूरे परिवार में
फिर भी मेरे लिए सभी ने किया त्याग
छोड़ दिया टीवी देखना
कि सिवाय सिरदर्द के कोई न्यूज़ नहीं रहती
सीरियल्स भी अब वाहियात आते हैं
टीवी के चक्कर में अखबार भी
बिन खुले ही स्टोर पहुँच जाता है कभी-कभी
मेरे लिए घर में अन्य सदस्यों ने
बना ली एक सी राय
कि मुखिया टीवी देखकर गुमसुम से
बैठे रह जाते हैं जैसे कोई झटका लगा हो
शायद यही कारण हो कि
रक्तदाब और शुगर नियंत्रण में नहीं हो पा रहा हो
यह आसान तो नहीं था
क्योंकि सिर्फ
एक मैं ही तो नहीं था दर्शक पूरे परिवार में
फिर भी मेरे लिए सभी ने किया त्याग
छोड़ दिया टीवी देखना
कि सिवाय सिरदर्द के कोई न्यूज़ नहीं रहती
सीरियल्स भी अब वाहियात आते हैं
टीवी के चक्कर में अखबार भी
बिन खुले ही स्टोर पहुँच जाता है कभी-कभी
मेरे लिए घर में अन्य सदस्यों ने
बना ली एक सी राय
कि मुखिया टीवी देखकर गुमसुम से
बैठे रह जाते हैं जैसे कोई झटका लगा हो
शायद यही कारण हो कि
रक्तदाब और शुगर नियंत्रण में नहीं हो पा रहा हो
टीवी से दूर भागा मैं
लेकिन चिंताएं अपनी जगह रहीं यथावत
टीवी जैसा मर्ज़ सोशल साइट्स में भी बरकरार है
हर जगह आधी-अधूरी सूचनाएं
हर जगह अपने-अपने अलहदा चूल्हे
हर जगह अनबन, तनातनी
हर जगह अपनी श्रेष्ठता के भाव
हर जगह प्रेम का दिखावा और खूब-खूब नफरतें
अख़बार, पत्रिकाएं ही नहीं अड़ोसी-पड़ोसी भी
किसी साज़िश में मुब्तिला हों जैसे
माथे पर सलवटें ऐसी कि हटाए न हटें
दिमाग की नसें ऐसी कि अब फटीं कि तब
अन्फ्रेंड और ब्लाक करने का हुनर न हो तो
तनाव बढ़ता है, और बढ़ता जाता है...
लेकिन चिंताएं अपनी जगह रहीं यथावत
टीवी जैसा मर्ज़ सोशल साइट्स में भी बरकरार है
हर जगह आधी-अधूरी सूचनाएं
हर जगह अपने-अपने अलहदा चूल्हे
हर जगह अनबन, तनातनी
हर जगह अपनी श्रेष्ठता के भाव
हर जगह प्रेम का दिखावा और खूब-खूब नफरतें
अख़बार, पत्रिकाएं ही नहीं अड़ोसी-पड़ोसी भी
किसी साज़िश में मुब्तिला हों जैसे
माथे पर सलवटें ऐसी कि हटाए न हटें
दिमाग की नसें ऐसी कि अब फटीं कि तब
अन्फ्रेंड और ब्लाक करने का हुनर न हो तो
तनाव बढ़ता है, और बढ़ता जाता है...
ऐसे वाहियात समय में दोस्तों
हम जी रहे हैं ये क्या कम है
चंद हमखयाल हैं तभी तो दम है..................
हम जी रहे हैं ये क्या कम है
चंद हमखयाल हैं तभी तो दम है..................