शनिवार, 21 सितंबर 2013

फिर क्यों ?


ऐसा नही है 
कि रहता है वहाँ घुप्प अन्धेरा 
ऐसा नही है 
कि वहां सरसराते हैं सर्प 
ऐसा नही है 
कि वहाँ तेज़ धारदार कांटे ही कांटे हैं 
ऐसा नही है 
कि बजबजाते हैं कीड़े-मकोड़े 
ऐसा भी नही है 
कि मौत के खौफ का बसेरा है 

फिर क्यों
वहाँ जाने से डरते हैं हम
फिर क्यों
वहाँ की बातें भी हम नहीं करना चाहते
फिर क्यों
अपने लोगों को
बचाने की जुगत लागाते हैं हम
फिर क्यों
उस आतंक को घूँट-घूँट पीते हैं हम
फिर क्यों
फिर क्यों.....

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