सोमवार, 23 सितंबर 2013

लौट आओ...

ये क्या हो रहा है
 ये क्यों हो रहा है
 नकली चीज़ें बिक रही हैं
नकली लोग पूजे जा रहे हैं...
 नकली सवाल खड़े हो रहे हैं
 नकली जवाब तलाशे जा रहे हैं
 नकली समस्याएं जगह पा रही हैं
 नकली आन्दोलन हो रहे हैं
 अरे कोई तो आओ...
 आओ आगे बढ़कर
 मेरे यार को समझाओ
उसे आवाज़ देकर बुलाओ...
 वो मायूस है
 इस क्रूर समय में
वो गमज़दा है निर्मम संसार में...
 कोई नही आता भाई..
 तो मेरी आवाज़ ही सुन लो
लौट आओ
 यहाँ दुःख बाटने की परंपरा है..
यहाँ सांझा चूल्हे की सेंक है....
 तुम एक बार अपने फैसले पर दुबारा विचार करो...
 मेरे लिए...
 हम सबके लिए.....

1 टिप्पणी:

  1. यहाँ दुःख बाटने की परंपरा है..
    यहाँ सांझा चूल्हे की सेंक है....
    तुम एक बार अपने फैसले पर दुबारा विचार करो...
    मेरे लिए...
    हम सबके लिए.....
    बहुत बढ़िया सन्देश

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